Madhu varma

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लेखनी कविता - लड्डू ले लो -माखन लाल चतुर्वेदी

लड्डू ले लो -माखन लाल चतुर्वेदी 


ले लो दो आने के चार
 लड्डू राज गिरे के यार
 यह हैं धरती जैसे गोल
 ढुलक पड़ेंगे गोल मटोल
 इनके मीठे स्वादों में ही
 बन आता है इनका मोल
 दामों का मत करो विचार
 ले लो दो आने के चार।

 लोगे खूब मज़ा लायेंगे
 ना लोगे तो ललचायेंगे
 मुन्नी, लल्लू, अरुण, अशोक
 हँसी खुशी से सब खायेंगे
 इनमें बाबू जी का प्यार
 ले लो दो आने के चार।

 कुछ देरी से आया हूँ मैं
 माल बना कर लाया हूँ मैं
 मौसी की नज़रें इन पर हैं
 फूफा पूछ रहे क्या दर है
 जल्द ख़रीदो लुटा बजार
 ले लो दो आने के चार।

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